पैसा दुनिया की सबसे बड़ी चीज है। मैंने पैसा नहीं कमाया लेकिन इज्जत बहुत बहुत है मेरा समाज में।पैसे से आप इज्जत नहीं खरीद सकते। रुपया से माँ बाप खरीद सकते हो क्या।पैसे से खुशी नहीं आती, वगैरह वगैरह.... आप सभी लोगों ने चौक चौराहों पर ,घर परिवार में इस तरह की बाते सुनी होगी।आपको शायद लगता होगा की यह सच है। लेकिन ऐसा वास्तविकता में नहीं है। यहाँ पर हमलोग यह भूल जाते हैं कि पैसा एक "चीज़" है, यानि कि वस्तू ।वस्तू के बदले में हम वस्तू ही खरीद सकते हैं, विचारों को नहीं। इज्जत, खुसी ,माँ पिता, प्रेम,भक्ति,भगवान, राम,कृष्णा, शिव, अल्लाह , ये सारे विचार हैं। क्योंकि बेईमान आदमी को पैसे की परवाह है, इज्जत की नहीं।पैसे के पीछे भागने वालों को सुख के संसाधन जुटाने की भूख है, जिस चक्कर में वो खुसी का एहसास भूल जाते हैं और ना ही उन्हे खुशी की चाहत रहती है। आज के जमाने में ऐसी कलयुगी mom dad हैं, जिन्हें अपने बच्चों की हत्या करने, यहाँ तक की इज्जत लूटने में भी लज्जा नहीं आती।मैं उन लोगों के लिए माँ पिता जैसे पवित्र शब्दों का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहता। यह तो एक प्यारा विचार है।जन्म देने ...